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ज़िंदगी/राहुल मिश्रा
आओ चलके एक उजाला खोजे
फिर से जीने का मसाला खाजे.
हाथ दे कर थाम भी ले ज़िंदगी
दुनिया घूम कर रखवाला खोजे.
टूट कर ऐसे ना बिखरती उम्मीदें
ता उम्र हम ऐसा मतवाला खोजे.
बंद हो जाए कुछ किस्से अकेले
चाभी भूलकर ऐसा ताला खोजे.
राहुल मिश्रा (गोरखपुर)
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Edited by Shaista Parween
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